Vakratund Mahaakaay Sooryakoti Samaprabh Lord Ganesha Mantra 5

Vakratund Mahaakaay Sooryakoti Samaprabh, Yaani Ghumaavadaar Soond Vaale Jinaka Vishaalakaay Shareer Hai Aur Jo Karodon Sooryon Ke Prakaash Ke Samaan Dikhate Hain. Aise Ganesh Jee Kee Pooja Karane Ke Lie Kuchh Mahaamantr Batae Gae Hain. Jo Aasaan Hai Aur Har Sanskrt Nahin Jaanane Vaale Log Bhee In Mantron Ko Padh Sakate Hain. In Mantron Ko Bolane Se Pooja Poorn Hotee Hai Aur Ganesh Jee Bhee Jaldee Prasann Ho Jaate Hain. Arth Sahit Jaanie Ganapati Jee Ke Aise Hee Khaas Mantra

Vakratund Mahaakaay Sooryakoti Samaprabh

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, यानि घुमावदार सूंड वाले जिनका विशालकाय शरीर है और जो करोड़ों सूर्यों के प्रकाश के समान दिखते हैं। ऐसे गणेश जी की पूजा करने के लिए कुछ महामंत्र बताए गए हैं। जो आसान है और हर संस्कृत नहीं जानने वाले लोग भी इन मंत्रों को पढ़ सकते हैं। इन मंत्रों को बोलने से पूजा पूर्ण होती है और गणेश जी भी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अर्थ सहित जानिए गणपति जी के ऐसे ही खास मंत्र

1- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ – घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥

2- विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

अर्थ – विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।

3- अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥

अर्थ – हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।

4- एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥

अर्थ – जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।

5- एकदंताय विद्‍महे। वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात।।

अर्थ – एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।

Vakratund Mahaakaay Sooryakoti Samaprabh Aur Anya God Mantra

Vakratund Mahaakaay Sooryakoti Samaprabh प्रथम पूज्य भगवान गणेश का पूजन करना यानि शुभ और मंगल समाचारों से जीवन का भर जाना है। भगवान गणेश जहां शुभता के प्रतीक माने जाते हैं, वहीं सुख समृद्धि के कारक भी हैं। इन्हें मंगल कार्यों के लिए विशेष रूप से पूजा जाता है। जितनी इनकी पूजा आसान है, उतनी ही इनकी सेवा। भगवान केवल दूर्वा से ही प्रसन्न हो जाते हैं। मोदक और लड्डू का भोग भी इन्हें प्रिय है। ज्योतिषाचार्य सचिनदेव महाराज के अनुसार गणेश मंत्रों का नित्य जाप करने से जीवन में कठिनाइयों का दौर समाप्त हो जाता है। वहीं आने वाली बाधाएं भी दूर हो जाती है। सारे विघ्र दूर होकर व्यक्ति की राह आसान बना देते हैं।


भगवान शिव के पुत्र गणेश भारतीय धर्म और संस्कृति में सबसे पहले पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। उनकी पूजा के बगैर कोई भी मंगल कार्य ना तो किया जा सकता है और ना ही शुरू हो सकता है। कहते हैं उनकी पूजा के बगैर अगर कोई कार्य शुरू कर देता है तो किसी न किसी प्रकार उसको रुकावटें आने लगती हैं।
भगवान गणेश की पूजा बुद्धि, ज्ञान, बल व सुख-समृद्धि देने वाली मानी जाती है। जो व्यक्ति गणपति बप्पा को सच्चे मन से पूजता है उसको भगवान कभी निराश नहीं करते। उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा खास मंत्रों से की जाती है। जा हां खास मंत्रों में तो क्या हैं वो मंत्र। भगवान गणेश के वो खास 3 मंत्र जिनका जप करने के बाद आप उनकी कृपा पा सकते हैं।

वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र-

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा

इसका अर्थ है कि हे वक्रतुण्ड, महाकाय, करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाश देने वाले देव (गणेश), मेरे सभी कार्य बिना विघ्न के संपन्न हों। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को बुधवार के दिन दुर्वा अर्पित करें । शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक का भोग लगाकर गणेश भगवान को समर्पित करें।

तांत्रिक गणेश मंत्र-
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।

यह एक तांत्रिक मंत्र है जिसकी साधना में कुछ खास चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। परन्तु रोज सुबह महादेवजी, पार्वतीजी तथा गणेशजी की पूजा करने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करने व्यक्ति के समस्त सुख-दुख तुरंत खत्म होते हैं। लेकिन इस मंत्र के प्रयोग के समय व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और क्रोध, मांस, मदिरा, परस्त्री से संबंधों से दूर रहना होता है।

गणेश कुबेर मंत्र-
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

यदि व्यक्ति पर अत्यन्त भारी कर्जा हो जाए, आर्थिक परेशानियां आए-दिन दुखी करने लगे। तब गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का नियमित रूप से जाप क रने से व्यक्ति का कर्जा चुकना शुरू हो जाता है तथा धन के नए स्त्रोत प्राप्त होते हैं जिनसे व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।

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